कुर्रम में जारी साम्प्रदायिक संघर्ष: दावे और हकीक़त

वर्तमान समय में पाकिस्तानी समाज आतंरिक रूप से अत्यधिक घ्रुवीकृत और विभाजित प्रतीत होता है| पाकिस्तान के स्वतंत्र अस्तित्व के लिए प्रयास करने वाले महत्वपूर्ण लोगों, जिसमें मुहम्मद अली जिन्ना भी शामिल हैं, ने इसकी कल्पना भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों के लिए एक ऐसे वतन के रूप में की थी जहाँ वह (मुसलमान) किसी अन्य समुदाय के प्रभुत्व से बाहर रहते हुए, निर्भीक रूप से अपनी सभ्यता एवं संस्कृति को सुरक्षित और संरक्षित रख सके| हालाँकि वहाँ के पढ़े-लिखे जागरुक समाज के एक छोटे से तबके, जिसका वहाँ की राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था में कोई खास प्रभाव नहीं हैं, को जल्द ही इस बात का आभास हो गया था कि इस्लाम के भीतर मौजूद विभिन्न सम्प्रदाय और उप-सम्प्रदाय एक-दूसरे से दुश्मनी करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे|

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Ashish Shukla

Ashish Shukla

Associate Fellow